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हे महारथी उठो!!
#प्रतिक्षा

हे महारथी उठो!!
सूर्य सा तेज भरो, सिंह सी हुंकार भरो,
प्रतीक्षारत है भाग्य तेरा
कर्म भागी है तू, नित कर्म आह्वान करो।

भीग कर मेहनत के पानी में
कर निर्माण स्व भाग्य लकीरों का,
तुम्हें खुद ही निकलना होगा
यहां चलता नहीं खेल तक़दीरों का।

न डर अमावस सी रैना से
बाद इसके इक नया सवेरा होगा
माना आज नहीं बस में तेरे, पर
बेशक आने वाला कल तेरा होगा।

देखों!... मंजिल राह ताक रहीं
नया जोश भरो, बाधाओं को पार करो
ठानों विजय संकल्प मन में
यों मौत से पहले न तुम बेमौत मरो।

हे महारथी उठो!!
सूर्य सा तेज भरो, सिंह सी हुंकार भरो।

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet143