...

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एक उम्दा पहल
बड़ी बाद में मिली मुझे वो दुनिया,
जो सच में मेरी दुनिया है,
थक हार के,
मैं जिस सपने को देखना चाहु,
हा वो इसी संसार में,
हर भीड़ से अलग दो यारियां है,
जिनमें सच में तराने हैं,
जिनमें सच में फ़साने हैं,
जिसे सुन मैं कहीं खो जाती हूं,
हा वो इसी संसार में,
हर भीड़ से अलग दो यारियां है...
© --Amrita