...

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साथी
चल साथी... चल हम साथ चले.....
बिना किसी मतलब के
हम एक दूजे के साथ में बढ़े
चल साथी... चल हम साथ चले,,,!!

चल दुखों के गहरे सागर से हम.....
हँसते-हँसते पार हो जाए
आए जो कभी सुख, हर पल हर घड़ी
उस सुख को मिलकर गले लगाए,,,!!

जीवन के इस सफर पर चल अंत तक....
हम एक दूजे का साथ निभाए
कितने भी दूर क्यों ना हो सालों से
उसके बाद भी ना हमारा साथ छुट पाए,,,!!

चल साथी हम अपने प्यार को....
नजदीकियों का मोहताज ना बनाए
साल में हुई एक मुलाक़ात को
हम हमेशा के लिए यादगार बनाए,,,,!!

चल साथी कदम आगे बढ़ाते-बढ़ाते......
हम जीवन के इस सफ़र का
आख़िरी पढ़ाव भी पार कर जाए
उलझ भी जाए, जो कभी रिश्तों की डोर
प्यार से उस डोर को हम सुलझाये,,!!

अपनी विपरीत सोच को चल हम कभी....
अपने इस रिश्तें के आढ़े ना लाए
बात हो मन मुटाव की चाहें कितनी भी बड़ी
छोटी मोटी सोच के उसे हम भूल जाए
चल साथी हम ऐसा साथ निभाए,,,!!


© Himanshu Singh