...

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इश्क़ का फ़रिश्ता
इश्क़ का फरिश्ता कहूँ
या तुझे रब कहुँ
जो भी कहुँ तुझे
मेरे लिये तू मेरी जिंदगी है

सुरत मेरी होती
पर उसकी मुस्कान तेरी होती
ऑंखे मेरी होती
पर उसमें जो चमक
होती तुझे देखकर होती

दिल मेरा है पर
उसकी धड़कने तेरी होती
सांसो का चलना
दिल का मचलना
तेरी वजह से होती

रूठूँ तो मना लेता
रोऊँ तो अजीबो गरीब
हरकत करके मुझे वो हँसा लेता

हमारे दरमियां मिलों की दूरियां है
फिर भी वो हरपल साथ है
मेरे वो अहसास करा जाता

देखा नहीँ मैंने उस जैसा हसीं कहीं
मेरी महोब्बत का हर एक
लम्हा तुममें ही समा गया
वो ऐसे मुझमें शामिल है

वो जान मेरी वो ही दिल है
खुद को भूल जाऊँ मैं एक बार
पर उसे कभी भूल ना पाऊंगी
सह ना सकूँगी मैं तेरी कमी
मर जाऊंगी उसी पल मैं वहीं