ज़लील
लफ़्ज़ों को मेरे
थोड़ा बहकने तो देती,
ज़ज्बातों को मेरे
बाहर आने का मौका तो देती,
इश्क़ को थोड़ा
बयां तो करने देती,
ठुकरा देती मेरा प्यार,
इतनी जल्दी भी क्या थी,
इससे पहले मुझे
थोड़ा ज़लील तो कर देती ।
© DopaManiac
थोड़ा बहकने तो देती,
ज़ज्बातों को मेरे
बाहर आने का मौका तो देती,
इश्क़ को थोड़ा
बयां तो करने देती,
ठुकरा देती मेरा प्यार,
इतनी जल्दी भी क्या थी,
इससे पहले मुझे
थोड़ा ज़लील तो कर देती ।
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