अभी भी
मेरी कहानियो में,
सिर्फ तुम्हारी यादें दफन है,
कभी पन्ने पलटो तो,
तुम्हारा ही शीर्षक मिलता है,
कहीं कुछ शूरु तुमसे है,
तो कहीं कुछ खत्म तुमसे है,
पर तुम्हारे बगैर,
मेरे पास,
अब कोई एहसास नहीं है,
कोई जज्बात नहीं है,
जो बचे खुचे लब्ज है भी,
उनसे सिर्फ,
उम्मीदों के खंभे गाड़े जा सकते हैं,
तसल्ली से बनी,
सुकून की निंदे नहीं पाई जा सकती,
मैं ढूंढती हू तुम्हें,
अपनी बातों मे,
तुम कायम हो मुझमें,
अभी भी.....
© --Amrita
सिर्फ तुम्हारी यादें दफन है,
कभी पन्ने पलटो तो,
तुम्हारा ही शीर्षक मिलता है,
कहीं कुछ शूरु तुमसे है,
तो कहीं कुछ खत्म तुमसे है,
पर तुम्हारे बगैर,
मेरे पास,
अब कोई एहसास नहीं है,
कोई जज्बात नहीं है,
जो बचे खुचे लब्ज है भी,
उनसे सिर्फ,
उम्मीदों के खंभे गाड़े जा सकते हैं,
तसल्ली से बनी,
सुकून की निंदे नहीं पाई जा सकती,
मैं ढूंढती हू तुम्हें,
अपनी बातों मे,
तुम कायम हो मुझमें,
अभी भी.....
© --Amrita
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