...

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Khushi 1
काफी समय से, ढूंढ रही तुम्हे
ख़ुशी, मेरी दोस्त, कहा चले गए?
बचपन में तुम्हारी जो भी
झलक मुझे दिखे
मेरी जीवन से इतनी जल्दी,
गायब हो गयी
जैसे ही मैं बड़ी हुई,
तुम वैसे ही लुप्त हो गये
तुरंत, अचानक, मेरे जीवन से
दूरी बना लिए
क्या मैं अपनी पूरी युवकाल
इस खोज में ही खर्च कर लू !
खोजती रहु फिर भी न मिले
ये ख़ुशी कितनी ख़राब चीज़ है -
जिसकी चाहत सबको होती है
मगर पाना बेहद मुश्किल
फिर भी हम रखते है उम्मीद
आखरी अंत तक, करते है कोशिश
और जब ख़ुशी के अभाव में
अगर हुए हम निराश
तो खुद से कहते है, की -

आज नहीं तो कल
कल नहीं तो कभी और
कभी तो ज़रूर
ख़ुशी,
हम होंगे हाथोहाथ




© Aaksandra