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मर्द टांगेंवाला और बादल
बचपन मे मिले थे दोनों
दोनों के ही शरारतें, मशहूर
जैसे जैसे बड़े हुए,
ईशारों से समझने लगे,
बस, फरमान का इंतजार,
ऐक पल मे यहां, तो दुसरे पल पे न जाने कहां,
एक का भुख, तो दुसरे का प्यास,
आ पहुंचे ऐक झील किनारे,
रिमझिम सी, ओ बरसात,
भीगो के अपने को,
ठहरे हुए पिप्पल के पेड़ के तले,
दिखा कोई भी मुसीबत मे,
देरी की कोई गुंजाइश ही नहीं,
राहें कैसी भी हो, हो दरीआ, या पर्बत,
मंजिल पे पहुंचाना ही तो था उनकी मंजिल,
कब जो शाम हुई, जवानी को बुढापे ने घेरा,
दुर हरियाली से भरी,
शुनशान गांव में मिलेगें दोनों,
दिख जाएं, तो देना खबर,
कई कहानी जो, ईन्हों से जुड़ी,
दोस्ती के युं तो कहानीयां,
आपने सुनी या होंगी पढी ।
@heartly
*dedicated to those, who are 24/7 helping others
© All Rights Reserved
दोनों के ही शरारतें, मशहूर
जैसे जैसे बड़े हुए,
ईशारों से समझने लगे,
बस, फरमान का इंतजार,
ऐक पल मे यहां, तो दुसरे पल पे न जाने कहां,
एक का भुख, तो दुसरे का प्यास,
आ पहुंचे ऐक झील किनारे,
रिमझिम सी, ओ बरसात,
भीगो के अपने को,
ठहरे हुए पिप्पल के पेड़ के तले,
दिखा कोई भी मुसीबत मे,
देरी की कोई गुंजाइश ही नहीं,
राहें कैसी भी हो, हो दरीआ, या पर्बत,
मंजिल पे पहुंचाना ही तो था उनकी मंजिल,
कब जो शाम हुई, जवानी को बुढापे ने घेरा,
दुर हरियाली से भरी,
शुनशान गांव में मिलेगें दोनों,
दिख जाएं, तो देना खबर,
कई कहानी जो, ईन्हों से जुड़ी,
दोस्ती के युं तो कहानीयां,
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