...

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मोहब्बत का अख़बार आया है।

सुबह सवेरे आँखों की दहलीज़ पर आया है, मोहब्बत का अख़बार आया है।
किसी की बेचैनियाँ तो किसी की शिकायते लाया है, मोहब्बत का अख़बार आया है।
कल बालकनी में नज़रे मिली थी उनकी आज देखो सुर्खियों में आया है, मोहब्बत का अख़बार आया है।
सूखे कुछ गुलाब जो बंद थे किताबों में उन काग़ज़ों की महक भी लाया है, मोहब्बत का अख़बार आया है।
जीनकी आँखे ही सिर्फ बढ़ा देती थी धड़कने आज उनकी तस्वीर पहले पन्ने पर लाया है, मोहब्बत का अख़बार आया है।
जिन आँसुओं की कहानी रह गयी थी अधूरी, उन्हें अपनी स्याही में पिरो कर लाया है, मोहब्बत का अख़बार आया है।
हर चाय की चुस्की के साथ पढ़ रही हूँ अरे! देखूँ तो कहीं उसकी यादों मे मेरा खयाल भी आया है? मोहब्बत का अख़बार आया है।
© 🄷 𝓭𝓪𝓵𝓼𝓪𝓷𝓲𝔂𝓪