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कई ख्वाब सजाकर छोड़ दिए
कई उपवास रहकर छोड़ दिए है ।
कई देवालय जाकर छोड़ दिए है ।
तुम्हारी याद में क्या क्या नहीं छोडा सुनो तुम ।
हम आधी आंख में काजल लगाकर छोड़ दिए हैं।
नहीं है मेल तुम संग , तो मिलन की आस छोड़ी ।
बुने कितने स्वपन थे ।
मगर हर बात छोड़ी ।
तुम्हारी याद में क्या क्या नहीं छोड़ा सुनो तुम ।
हम अपनी चाह को खुद में ,मिटा कर छोड़ दिए हैं ।
कई ,,,,,।।।।
© sarthak writings
कई देवालय जाकर छोड़ दिए है ।
तुम्हारी याद में क्या क्या नहीं छोडा सुनो तुम ।
हम आधी आंख में काजल लगाकर छोड़ दिए हैं।
नहीं है मेल तुम संग , तो मिलन की आस छोड़ी ।
बुने कितने स्वपन थे ।
मगर हर बात छोड़ी ।
तुम्हारी याद में क्या क्या नहीं छोड़ा सुनो तुम ।
हम अपनी चाह को खुद में ,मिटा कर छोड़ दिए हैं ।
कई ,,,,,।।।।
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