...

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आहिस्ता आहिस्ता कारवाँ गुजर रहा है..
आहिस्ता आहिस्ता जिंदगी का कारवाँ गुजर रहा है..
मेरा आशियाना बिखर रहा है..
दस्तूर बदल रहा है..
तर्तीब तहजीब दहलीज सब बदल रहा है..
आहिस्ता आहिस्ता जिंदगियाँ गुजर रही हैं..
वजूद दांव लगा बैठा है..
दुनिया नजर उठा रही है..
और मेरा खुदा सारे भरम मिटा रहा है..
मेरी तासीर एक नये मोड़ पर आकर रुक सत कर रही है..
आहिस्ता आहिस्ता सब चल रहा है..
ठहरा हुआ पानी..
समेटे हुए khwaw..
दबा हुआ खुद का वजूद..
बिखरा हुआ समंदर..
सब कुछ एक जगह था रखा..
मगर आहिस्ता आहिस्ता सब बदल रहा है..
वक्त अपना पायदान बदल रहा है..
इंसान अपनी फ़ितरत की आजमाईश कर रहा है..
हर दफा, हर शहर, हर गली, हर गांव, हर शहर से कारवाँ गुजर रहा है..
काफिला समेटे हुए अपने वजूद समेटे हुए चल रहे हैं..
किस मोड़ पर हैं..
किस दिशा में हैं..
इन सबसे अंजान बैठे हैं..
बदलते दस्तूर में बन कर दरिया बह रहे हैं..
खुदा की इनायत पर खुद जिंदगी गुजार रहे हैं..
आहिस्ता आहिस्ता बदलती जिंदगी के साथ रंग बदल रहे हैं.. by क्षमा सैनी 👑😎
#myself life✨
© @kshamasaini