...

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है अब
है अब खुद को बदलना
इतना की पहले की तरह लोग हमे देखने को तरस जाये
है अब खुद के लिए जीना
बनना है इतना काबिल की लोग जले हमारे नाम से
है अब खुद को अपने ढंग से तराशना
हर मुसीबत से लड़ना
है अब किसी के लिए न आंसू बहाना
रोना नही है हस के सारे गम को है भुलाना
है अब बनना मुझे शायर
जो कुछ मै कह नही पाति हु वो लिखती हु

© Goldi Singh