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Guddi ke Sapne
कभी काले बादल, कभी चांद चांदनी।
ओझल करतीं है तुमसे हमें
पर तुम... हमें तो अजनबी नहीं।
अकसर ढूंढती हो जुगनुओं में हमें।
चाहत तो.. तुम भी हमारी हो,
पर यूं जमीं पर रहना,
हमारी भी तो नियति नहीं।
तुम्हे हंसते देखा, मायूस भी,
और देखी है, इन आंखों में नमी,
तुम सदा हसने की ख्वाहिश रखना।
हमें टूटकर गिरना भी गवारा नहीं।
माना.. हैं बंदिशे हर कहीं, पर..!
पंख तो तुम्हे भी है,
उड़ कर जरा छू लो हमें।
मिलकर देखेंगे ये दुनियां हसीं।
--- Guddi ke Sapne
© Pushp
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