...

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तुम्हारे लिए ।
तुम एक लहर झरनों कि,
फुलों की खुशबुदार कलियों सी,
रात कि चांदनी में चमचमाते सितारों सी,
दिन के तेज रोशनी में उस हल्की सी नमी सी हो ,

बहते हुए पानी जैसे जज़्बात है तुम्हारे,
गुजरते हुए बादल जैसे ख्यालात है तुम्हारे,
तुम्हे समझना तो इतना आसान नहीं है,
मगर जो तुम्हे समझ ना पाये वो फिर दिल से इन्सान नहीं है,

कुछ लफ्ज चुराये मैंने तुम्हें साछा करने के लिए,
लेकिन ये लफ्ज भी नाकाम हो गये तुम्हें समझाने के लिए,
तुम्हारी सोहरत तो मैं ताउर्म करुंगी,
मगर तुम भी साथ दे दो अगर तो ना रहे कोई गिले और सिकवे ।


© Siya