...

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अनूठे जलजले
क्या,किसे कहते?
पवन के झोंके,बन गये बहते।
न हुए "प्रभावित",
हाँ,हुए हरेक जगह से प्रताड़ित।

जड़त्व से अहसास,
कहे दुनिया मत कर विश्वास।
छलके खूब प्याले,
विष के न कर पाये पस्त हौंसले।

सब अजीबो-गरीब,
माना लिखा केवल "नसीब"।
हार-जीत को भूल,
लगाई माथे पे बेवफाई की धूल।

ढूंढे खुद के निशां,
बना उदासीन हृदय का मकां।
"जलजले" अनूठे,
"गिल" दे गये "सबक" बैठे -बैठे।

© Navneet Gill