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मेरी मां
हमेशा हंसते हुए ही देखा उसको,
फिर पता नही क्यों मुझे चोट लगने पर रो देती है।
मेरे रूठने पर सबसे पहले वो मनाती हैं,
फिर पता नही क्यों खुद हमसे तंग क्यों नहीं होती है।।
खुद खाने से पहले सबको खिलाती हैं,
बस इसी वजह से कभी कभी वो भूखे ही सो जाती है।।
रोते हुए कभी देखा नहीं है उनको
बस मेरे रोने से ही वो घबरा जाती है।।
कितना भी दर्द हो खुद सह लेती हैं
पर पता नही क्यों मेरे दर्द से वो सहना भूल जाती है।।
मेरे गुस्से को सहती है,हर नखरा उठाती है
पर पता नही क्यों खुद को कहीं गुम सी पाती है।।
आखों का पानी हो या टूटे दिल की कहानी हो
वो बेचैनी देख सबसे पहले जान जाती है।।
बस इसीलिए शायद मां सबसे ऊपर होती है।।
© Namrata Mahato
फिर पता नही क्यों मुझे चोट लगने पर रो देती है।
मेरे रूठने पर सबसे पहले वो मनाती हैं,
फिर पता नही क्यों खुद हमसे तंग क्यों नहीं होती है।।
खुद खाने से पहले सबको खिलाती हैं,
बस इसी वजह से कभी कभी वो भूखे ही सो जाती है।।
रोते हुए कभी देखा नहीं है उनको
बस मेरे रोने से ही वो घबरा जाती है।।
कितना भी दर्द हो खुद सह लेती हैं
पर पता नही क्यों मेरे दर्द से वो सहना भूल जाती है।।
मेरे गुस्से को सहती है,हर नखरा उठाती है
पर पता नही क्यों खुद को कहीं गुम सी पाती है।।
आखों का पानी हो या टूटे दिल की कहानी हो
वो बेचैनी देख सबसे पहले जान जाती है।।
बस इसीलिए शायद मां सबसे ऊपर होती है।।
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