...

7 views

कुरबत
अजीब सा नसीब हैं
सब कुछ होकर भी
कुछ नहीं है
परिंदों से उड़ान तो भरते हैं
लेकीन पर नही हैं
हाथों की लकीरों को तो बदलते हैं
पर खुदा से दोस्ती नहीं है
खुद की हक की बात तो करतें है
पर गिले शिकवे में दिन गुजरते हैं
ख़ुद की बरकत में सभी को
शिरकत तो करतें है लेकीन
सबसे किनारा रखते हैं
रहस्य मई सा विरोधा भास है
सबसे कुरबत तो हैं लेकिन
फिर भी किसी से कुरबत नहीं
© lotus