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अमर रहा है भारत अपना ।
अमर रहा है भारत अपना ।
और ऊंची है इसकी शान ।
ईश्वर भी जन्मे येहा पर ।
कुछ ऐसे है उनके नाम ।

हर एक जनम में रूप नया है।
और नए है इनके काम ।
द्वापर में घनश्याम बने है ।
सतयुग में सीता के राम ।
ईश्वर भी ,,,,,

लीलाधर की लीला नय्यारी ।
जग में प्रेम सीखा त्रिपुरारी ।
उमा संग मे शंकर जी है ।
और तुलसी संग सालिग्राम।
ईश्वर भी ,,,,

भगवन के है रूप अनुपम।
कभी वराह ,कभी है वामन ।
कितने सारे रूप बदलकर ।
पूरन करते सारे काम।
ईश्वर ,,,,,





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