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खामियां
वो हमारी हर बात पे खामियां निकालते गये,
हम उनकी खामियों से भी मोहब्बत कर बैठे।।
वो हमें हर पल नजरअंदाज करते गए,
हम उन्हें हर पल नज़रों में बिठाते गये।।
वो गैरों की महफ़िल में समां बांधते गये,
हम महफ़िलों में भी अकेले होते गए।।
वो किसी और की बांहों में समाते गये,
हम ताउम्र उनकी यादों में ठहर से गए।।
© Anu
हम उनकी खामियों से भी मोहब्बत कर बैठे।।
वो हमें हर पल नजरअंदाज करते गए,
हम उन्हें हर पल नज़रों में बिठाते गये।।
वो गैरों की महफ़िल में समां बांधते गये,
हम महफ़िलों में भी अकेले होते गए।।
वो किसी और की बांहों में समाते गये,
हम ताउम्र उनकी यादों में ठहर से गए।।
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