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अकेला
मैं अकेला हूं
अकेला ही रहूंगा
न कोई अपना,
न कोई पराया
बस हर तरफ़ मौजूद है
खौफ़नाक दर्द का सैलाब...
रह रहकर उठता हैं
सिर्फ इक ही सवाल
इस नादान दिल में
मुझसे क्या गुनाह हुआ ?
मिली सज़ा बेहद...
इश्क़ खुद से रूठ ही गया
न कोई शिकवा, न कोई मलाल
सिवा तेरे दर्द-ए-पिन्हां में
जहन्नुम-ए-मौत बाखुदा मिलीं ।
© -© Shekhar Kharadi
१२/४/२०२२, मार्च
अकेला ही रहूंगा
न कोई अपना,
न कोई पराया
बस हर तरफ़ मौजूद है
खौफ़नाक दर्द का सैलाब...
रह रहकर उठता हैं
सिर्फ इक ही सवाल
इस नादान दिल में
मुझसे क्या गुनाह हुआ ?
मिली सज़ा बेहद...
इश्क़ खुद से रूठ ही गया
न कोई शिकवा, न कोई मलाल
सिवा तेरे दर्द-ए-पिन्हां में
जहन्नुम-ए-मौत बाखुदा मिलीं ।
© -© Shekhar Kharadi
१२/४/२०२२, मार्च
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