...

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हर सुबह की होती अपनी कहानी है
नित नए अध्याय लेकर चलती यह ज़िंदगानी है,
कहीं झुलसाती आग तो कहीं होता शीतल पानी है।

कभी दिन यह कटते हैं थके थके से कदमों से,
कभी वक़्त की चाल में होती ग़ज़ब सी रवानी है।

मान बैठे किसी चीज़ को क्यों अपनी क़ायम के लिए,
मत भूलो कि दुनिया में हर एक शय आनी जानी है।

ना होता किसी का सदा के लिए बसेरा इस जग में,
समय को तो हर किसी की हस्ती एक दिन मिटानी है।

रात के पीछे होती रात नहीं, उजियारे को आना है,
याद रहे फ़क़त इतना हर सुबह की होती अपनी कहानी है।
© "मनु"
मनीषा पटेल
#मनु_के_मन_के_मोती