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आदमी 👨
खुशियॉ कम और अरमान बहुत हैं
जिसे भी देखो परेशान बहुत हैं.
करीब से देखा तो निकला रेत का घर
मगर दूर से इसकी शान बहुत हैं.
कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं
मगर आज झूठ की पहचान बहुत हैं.
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी
यू तो कहने को इंसान बहुत हैं.
जिसे भी देखो परेशान बहुत हैं.
करीब से देखा तो निकला रेत का घर
मगर दूर से इसकी शान बहुत हैं.
कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं
मगर आज झूठ की पहचान बहुत हैं.
मुश्किल से मिलता है शहर में आदमी
यू तो कहने को इंसान बहुत हैं.
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