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माँ...!!!
माना मेरी घर की दीवारों में चंदा सी मूरत है
पर मेरे मन के मन्दिर में बस केवल मेरी मां की मूरत है
मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा अनुसुया मरियम सीता हैं
मां पावनता में रामचरित मानस हे भागवत गीता हैं मां तेरी हर बात मुझे वरदान से बडकर लगती हैं
है मां तेरी सूरत मुझे भगवान से बडकर लगती हैं
सारे तीर्थ के पुण्य जहां मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनकी कोई संतान नहीं में उन माओ का बेटा हूं
हर घर में मां की पूजा हो ऐसा संकल्प उठाता हूं
में दुनिया की हर मां के चरणों में अपना शीश झुकाता हूं
© Lotus 🪷
पर मेरे मन के मन्दिर में बस केवल मेरी मां की मूरत है
मां सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा अनुसुया मरियम सीता हैं
मां पावनता में रामचरित मानस हे भागवत गीता हैं मां तेरी हर बात मुझे वरदान से बडकर लगती हैं
है मां तेरी सूरत मुझे भगवान से बडकर लगती हैं
सारे तीर्थ के पुण्य जहां मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनकी कोई संतान नहीं में उन माओ का बेटा हूं
हर घर में मां की पूजा हो ऐसा संकल्प उठाता हूं
में दुनिया की हर मां के चरणों में अपना शीश झुकाता हूं
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