...

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खयाल
खयाल अच्छा था तुमसे मिलने का
ज्यों ही ये खूबसूरत शाम आई
बात हो तुमसे ये बात दिल में आई
पहुंच तो गई होगी आरजू हमारी
दबे दबे पांव वो मुझसे पहले
तुम्हारे पास जो चली आई
उम्मीद से हम बैठे की तुम आओगे
लेकिन ये क्या तुमने तो
कोई दिलचस्बी न दिखलाई
जैसे ही हम खुद को संभालकर
वापस जा रहे थे
रूमहरे कदमों की आहट
ने मन में इक आस जगाई
बैठेंगे अब आपके साथ पल दो पल
चांदनी जब तक न ले अंगड़ाई
फिर जी लेंगे इस पल को
क्या पता कल हो ना हो
तेरी मेरी कहानी की सुनवाई