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राधा की व्यथा
#मोहन आए ना नज़रिया
निर्खत राह तेरी गुर्जरिया
श्याम मिल जाए उद्धव अगर
कह दियो ना मिलेगी अब वो नगरिया
जब से गए हो माधव तुम गोकुल से
चरी नही कोई गवरिया
माखन की मटकी भी नही टूटी कोई
परेशान है हर गोकुल की गोपियां
रास भी अब अधूरा है बिन तेरे मेरे रसिया
नाच भी नही करते अब जंगल के वासी
गयां भी अभी रहती है उदासी
कब आओगे दर्श देने श्याम
अधूरा है तुम्हारी शरारतों बिना नंदग्राम ।।
बांट जोह ती है तेरी मुरली तेरे अधरो को
कर्ण भी त्रस रहे है उस तान पर मग्न हो जाने को
© AILoneWriter
निर्खत राह तेरी गुर्जरिया
श्याम मिल जाए उद्धव अगर
कह दियो ना मिलेगी अब वो नगरिया
जब से गए हो माधव तुम गोकुल से
चरी नही कोई गवरिया
माखन की मटकी भी नही टूटी कोई
परेशान है हर गोकुल की गोपियां
रास भी अब अधूरा है बिन तेरे मेरे रसिया
नाच भी नही करते अब जंगल के वासी
गयां भी अभी रहती है उदासी
कब आओगे दर्श देने श्याम
अधूरा है तुम्हारी शरारतों बिना नंदग्राम ।।
बांट जोह ती है तेरी मुरली तेरे अधरो को
कर्ण भी त्रस रहे है उस तान पर मग्न हो जाने को
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