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#तेरी_कविता
// तेरी कविता //

अंधेरी रात्रि में दीप का उजाला,
नभ मंडल सी मुखमंडल आभा;
कैसे हो सकता अमंगल हमारा,
जीवन में जब साथ हो तुम्हारा।

देखूं छोड़ जग हर एक झमेला,
क्या लिखता निठल्ला अकेला;
पढ़ डाली तेरी हर अक्षरमाला,
लिखे गहरा दिखे भोला भाला।

पढ़ तेरी कविता जाग उठा
मन में स्वाभिमान,
पुलकित कमल-मलय चित
पा स्वयं का मान;
दबा कुचला विखंडित सा था
जीवन का भान,
प्रफुल्लित ह्रदय कुसुमित मुख
उकरा सम्मान।

बगियन खिले सुमन सुगंध
से महका अंतर्मन,
कोमल स्पर्श से नाच उठा
सारा तन मन;
पलक झपक खोया चैन
नयन नींद नहीं रात्रि रैन;
पल में लुट पुट गया मन
बदला लागे सारा चमन।

अधर गुलाब केसरी तन
लौटा दो मन चैन अमन,
मन नीड़ बना बसा सनम
ओ बगियन सुंदर सुमन;
चंद्र रत्न मन उपवन गमन
बगियन का सुंदर सुमन;
तुम अवनि की हीर रत्न
तुम अखियन तारा गगन।


© Nik 🍁

(Pic Source- Pinterest)