...

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मेरा मन किताब
मन में है बहुत कुछ अन्दर
एक भी लफ्ज़ नहीं दिल समंदर

दिल के अन्दर क्या है
मुझसे मिलकर तो देख लो
समंदर के अंदर क्या है
ज़रा डूबकर तो देख लो

भीग गई वो किताब
जिसमें लिखे थे क़सीदे
याद नहीं वो गीत
गुनगुना रहे थे लबों पे

बड़ी मुश्किल है सब कुछ फिर से दोहराना
मेरे आँखों की पन्नों में छपा है पढ़ लेना

© prashanth K