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क्यूँ नही
रूठूंगा मैं तुमसे इक दिन इस बात पे जब रूठा था मैं तो मनाया क्यूँ नही
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार, जो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यूँ नही
मुहँ फेर कर जब खडा था मैं वहां बुलाकर पास सीने से अपने लगया क्यूँ नही
पकड कर तेरे हाथ पुढूँगा मैं तुमसे हक अपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नही
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँ नही
© 🄷 𝓭𝓪𝓵𝓼𝓪𝓷𝓲𝔂𝓪
कहते थे तुम तो करते हो मुझसे प्यार, जो दिखाया मैने नखरा तो उठाया क्यूँ नही
मुहँ फेर कर जब खडा था मैं वहां बुलाकर पास सीने से अपने लगया क्यूँ नही
पकड कर तेरे हाथ पुढूँगा मैं तुमसे हक अपना मुझ पर तुमने जताया क्यूँ नही
इस धागे का एक सिरा तुम्हारे पास भी तो था उलझा था अगर मुझसे तो तुमने सुलझाया क्यूँ नही
© 🄷 𝓭𝓪𝓵𝓼𝓪𝓷𝓲𝔂𝓪
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