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जैसी उसकी मर्ज़ी
तू बस लगा रह,
दिन-रात, सर्दी-गर्मी,
पर हार मत मान।
थक जाये जब,
तो थोड़ा आराम सही,
पर रुकना नहीं।
दिमाग में हो,
बस एक ही ख्याल।
हाँ मुझे ही यह करना है।
मैं ही इसे करूंगा।
खुद के लिये करूंगा,
कभी घुटने नहीं टेकूंगा।
ध्यान रहेगा,
ईश का आशीर्वाद।
आगे जैसी उसकी मर्जी।
© Mr. Busy
दिन-रात, सर्दी-गर्मी,
पर हार मत मान।
थक जाये जब,
तो थोड़ा आराम सही,
पर रुकना नहीं।
दिमाग में हो,
बस एक ही ख्याल।
हाँ मुझे ही यह करना है।
मैं ही इसे करूंगा।
खुद के लिये करूंगा,
कभी घुटने नहीं टेकूंगा।
ध्यान रहेगा,
ईश का आशीर्वाद।
आगे जैसी उसकी मर्जी।
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