...

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🌹प्रेम संजीवनी 🌹
मिलने की चाहत है
मेरी चाहत में हों तुम
अपनी जुल्फों को कैसे संवारू
तुम्हारी उँगलियों की जरूरत है
अपने गालों की लालिमा कैसे छुपाऊ
ये तुम्हारी निगाहों से आयी है
अपने जज्बातों को कैसे रोकू
तुम्हारी नजरों की इनायत है
ज़ब ज़ब तुमने देखा मुझे
मस्तियां छायी मुझपर
अब तो आलम ये हैं.......
ख्यालों में आकर छेड़ जाते हों
अब ना रहा जाए सजन तुम बिन
अब ना तड़पाओ मुझे
मेरी रूह में समा गए हों
अब चाह नहीं किसी चीज की
बस तुम ही तुम रहो मेरे तन मन में
प्रेम बिना सब सूना है
प्रेम ही जीवन संजीवनी है!!♥️