शायरी
सुना है तेरी गलींयों की हवायें
मेरी गलीयों का पता पुछने आयी थी
उन हवाओं कों पता ही नहीं की
वों जिसका पता पूछने आयी है...
वो कबसे खुद से लापता होकर
कहीं गुमनामी में खुद का पता
ढूँढ रहे हैै...
शोभा मानवटकर...
© All Rights Reserved
मेरी गलीयों का पता पुछने आयी थी
उन हवाओं कों पता ही नहीं की
वों जिसका पता पूछने आयी है...
वो कबसे खुद से लापता होकर
कहीं गुमनामी में खुद का पता
ढूँढ रहे हैै...
शोभा मानवटकर...
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