...

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बेटियां बोझ नहीं हुआ करती है
बाप का बाज़ू और हिम्मत होती है बेटीयां...
कौन कहता है के बोझ होती है बेटियां...

हर तकलीफ़ में सहारा बनकर खड़ी होती है बेटियां...
दर्द अपने भुला कर फ़िक्र ए वालिद में घुली होती है बेटियां...

जो करे एहसास उसके लिए मुकम्मल जहां है बेटियां...
क्यों करते हो फ़र्क कद में बेटों के बराबर हैं बेटियां ...

सोच बोझिल हो तो बोझ ही नज़र आती है उनको....
तंग नज़र लोगो के लिए हां बोझ ही होती है बेटियां ....

बाप की शहज़ादी तो मां की लाडली होती है बेटियां....
भाई की जान उसकी सबसे अच्छी सखी होती है बेटियां ....

मां के अक्स में ढली हया का पैकर होती है बेटियां..
खु़द में चलता फिरता कुल का ईदारा होती है बेटियां...

एहसास ओ फ़िक्र की ज़िंदा मिसाल होती है बेटियां....
करती है ख़ुद से ज़्यादा फ़िक्र बाबा की ऐसी होती है बेटियां....

कौन कहता है के पराई भी होती है बेटियां...
अरे घर की रूह बाबा की जान होती है बेटियां...

समझ ले लोग घर की ज़ीनत ओ रौनक है बेटियां ....
यानी मुकम्मल रहमत ए इलाही है बेटियां ....
© sydakhtrr