...

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रंगीन दुनियां
सोच नही, अनुभव लिखा है,
इस दुनिया को रंगीन मैने लिखा है।

यू तो कुदरत में अनेक रंग।
ईर्ष्या, मतलब, लोभ, स्वार्थ, निंदा
सबको रंगीन मैने लिखा है।

जब सोचोगे..! हर अपना पराया
साथ तो है मेरे।
जो अनेकों रंग में रंगा है।

प्रेम, जो आकर्षण या क्षणिक मात्र नहीं
मिलता है
मां के आंचल में, पिता की छांव में
उन आंखों में जो तुमसे किसी स्वार्थ में नहीं

ये प्रेम ही है, जिसे रंगहीन मैने लिखा है।

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© Pushp