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रात का फ़साना
#अनमोलप्रियवस्तुरात
क्या कहें क्या सुनाए
रात का फसाना
चंदा संग आँख मिचौली खेले
जुगनुओं सा तारों का टिमटिमाना
पवन सुरीली मंद मंद सी चले
गुनगुनाती रात संग सफ़र करे
बादलों का झूम-झूम कर पानी लाना
प्यासी प्यासी धरती की
बस प्यास बुझाना
रात जब बिजली चमके
तारों का छुप जाना
चंदा भी लुकाछिपी करता
प्यार से उसका
बादलों में छिप जाना
सब कुछ महसूस होता
सब कुछ प्यारा घटता
आँख़ जब खुलती भोर की लाली में
कहीं छुप जाता रात का फ़साना