...

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समझ
मेरी साधारण जीवन को अस्त व्यस्त थोड़ा तुम समझना
करता गलती ,ठीक भी करता ,नही करता कोई देरी
माना की भावुक हो थोड़ा , कभी कभी घबरा जाता हूं
लेकिन मुझको बेचारा न समझना मैं अथक अपने प्रयासों से कlटकर समुद्र का सीना अपनी राह बनाता हूं
समझ को समझ, समझ की अलग परिभाषा बन जाता हूं