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समझ
मेरी साधारण जीवन को अस्त व्यस्त थोड़ा तुम समझना
करता गलती ,ठीक भी करता ,नही करता कोई देरी
माना की भावुक हो थोड़ा , कभी कभी घबरा जाता हूं
लेकिन मुझको बेचारा न समझना मैं अथक अपने प्रयासों से कlटकर समुद्र का सीना अपनी राह बनाता हूं
समझ को समझ, समझ की अलग परिभाषा बन जाता हूं
करता गलती ,ठीक भी करता ,नही करता कोई देरी
माना की भावुक हो थोड़ा , कभी कभी घबरा जाता हूं
लेकिन मुझको बेचारा न समझना मैं अथक अपने प्रयासों से कlटकर समुद्र का सीना अपनी राह बनाता हूं
समझ को समझ, समझ की अलग परिभाषा बन जाता हूं
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