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धुंधली यादें
मन को बहुत समझाती हूं ।
तुझे हर रोज भूलने की कोशिश करती हूं।
पर आज भी मेरे दिल में कहीं न कहीं एक छोटा सा हिस्सा तेरे लिए रोता है,
तुझे अभी भी अपना मानता है,
मुझसे तेरे पास जाने की गुज़ारिश करता है।
पर में हर बार की तरह उसे चुप करा कर,
अपने मन को एक बार फिर समझा लेती हूं
की तू तो अपना नही पर तेरी यादें ही अब बस हमारी है।
—नैनिका
© All Rights Reserved
तुझे हर रोज भूलने की कोशिश करती हूं।
पर आज भी मेरे दिल में कहीं न कहीं एक छोटा सा हिस्सा तेरे लिए रोता है,
तुझे अभी भी अपना मानता है,
मुझसे तेरे पास जाने की गुज़ारिश करता है।
पर में हर बार की तरह उसे चुप करा कर,
अपने मन को एक बार फिर समझा लेती हूं
की तू तो अपना नही पर तेरी यादें ही अब बस हमारी है।
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