...

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" सर्द मौसम "
" सर्द मौसम "

सर्द मौसम अब विदाई के शिखर पर पहुंच गया..!
मगर तुम से मिलने को हाय मेरे अरमान तरस गया..!

हमें जब भी तुम्हारी याद सताई ओ सनम..!
देखो न दिल भारी और मेरे नैन हुए नम..!
तुम्हें छूकर एहसासों में समेटने को बावला मन मेरा तरस गया..!

कुछ न पूछो मेरे हाल-ऐ-दिल की क़सक़..
ऐ साथी मुझ से ख़्वाहिशों की रात्रि में
वह मजबूरी के दामन में ही सिमट गया..!
सारी-सारी पहर बस तुम्हें ही पुकारते हुए ठण्ड की चुभती हुई सिरहन मे कट गया..!

हर तरफ़ छाई रही सन्नाटे की कुनमुन-कुनमुन सी आस..!
मगर तुम्हारी कदमों की आहट सुनने को मेरी रूह बेइंतहा तरस गया..!

नींद हुई ख़फ़ा और जुदा-जुदा रही मुझ से दूर-दूर..!
किस तरह बयान मैं करूँ तुम से उन गुजरे लम्हों की असहनीय पीर..?
यहाँ जिस्म मेरा छटपटाता रहा, हाय जब मेरी रूह वहाँ जाकर तेरी रूह से लिपट गया..!

🥀 teres@lways 🥀