आगोश की गर्मी
*जो चैन से सो रहे हैं,उनसे पूछो क्यों उड़ाई है किसी की नींद आंखों से*
*उनसे पूछो क्या राज़ है उनकी गहरी आंखों में,जिसमे डूबकर मरने को दिल चाहता है*
*उनसे पूछो क्या उनको भी मेरे बगैर नींद आती होगी,क्या आगोश की गर्मी का अहसास होता होगा*
*उनसे पूछो क्या उनको भी महसूस होती होगी मेरी कमी अपने बिस्तर पर ,करवट करवट*
*उनसे पूछो क्या उनका दिल भी मेरी तरह बैचेन रहता होगा,मुलाकात के लिए शाम ओ सहर अक्सर*
© SYED KHALID QAIS
*उनसे पूछो क्या राज़ है उनकी गहरी आंखों में,जिसमे डूबकर मरने को दिल चाहता है*
*उनसे पूछो क्या उनको भी मेरे बगैर नींद आती होगी,क्या आगोश की गर्मी का अहसास होता होगा*
*उनसे पूछो क्या उनको भी महसूस होती होगी मेरी कमी अपने बिस्तर पर ,करवट करवट*
*उनसे पूछो क्या उनका दिल भी मेरी तरह बैचेन रहता होगा,मुलाकात के लिए शाम ओ सहर अक्सर*
© SYED KHALID QAIS
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