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एक दिन
एक दिन मिल रही
सुविधाओं
को छोड़
उन बसों में
सफ़र करना चाहती हूं
जिसमे
अति निम्न मध्यवर्गीय परिवार
सफर करते है।
और एक दीन
मापना चाहती हूं
उन लोगों की सहनशीलता
जो धूप में चलते है
टटोलना चाहती हूं
उन लोगों का मन जो बेवजह हंसते हैं
या बात बात पर रूठ जाते है
थामना चाहती हूं
हीनभावना से ग्रस्त
उन सखियों के हाथ
जो असहज हो उठती हैं
किसी सुन्दर सखी को देखकर
और एक दिन
घर से अकेले निकल कर
मापना चाहती हूं मैं
छिपा अपने भीतर का डर।
सुविधाओं
को छोड़
उन बसों में
सफ़र करना चाहती हूं
जिसमे
अति निम्न मध्यवर्गीय परिवार
सफर करते है।
और एक दीन
मापना चाहती हूं
उन लोगों की सहनशीलता
जो धूप में चलते है
टटोलना चाहती हूं
उन लोगों का मन जो बेवजह हंसते हैं
या बात बात पर रूठ जाते है
थामना चाहती हूं
हीनभावना से ग्रस्त
उन सखियों के हाथ
जो असहज हो उठती हैं
किसी सुन्दर सखी को देखकर
और एक दिन
घर से अकेले निकल कर
मापना चाहती हूं मैं
छिपा अपने भीतर का डर।
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