...

1 views

एक दिन
एक दिन मिल रही
सुविधाओं
को छोड़
उन बसों में
सफ़र करना चाहती हूं
जिसमे
अति निम्न मध्यवर्गीय परिवार
सफर करते है।

और एक दीन
मापना चाहती हूं
उन लोगों की सहनशीलता
जो धूप में चलते है

टटोलना चाहती हूं
उन लोगों का मन जो बेवजह हंसते हैं
या बात बात पर रूठ जाते है

थामना चाहती हूं
हीनभावना से ग्रस्त
उन सखियों के हाथ
जो असहज हो उठती हैं
किसी सुन्दर सखी को देखकर

और एक दिन
घर से अकेले निकल कर
मापना चाहती हूं मैं
छिपा अपने भीतर का डर।