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ये खुले आसमान में चांद..
ये खुले आसमान में इतरा रहा चांद देखो,
बेपरवाह है,चांदनी को ताक रहा है देखो।
वो एक शख्स जो बर्बाद होके बैठा है,
दीवानों को झूठी तसल्ली दे रहा है देखो।
वो कहता था अब मैं मिलूंगा नहीं,
मुझ ही को वो अब तलाश रहा है देखो।
सलीका नहीं झूठ कहने का उसको,
हक़ीक़त को सच में बता रहा है देखो।
मुश्किल नहीं कोई मरने में लेकिन,
वो जी के सभी को बता रहा है देखो।
© "नीर"
बेपरवाह है,चांदनी को ताक रहा है देखो।
वो एक शख्स जो बर्बाद होके बैठा है,
दीवानों को झूठी तसल्ली दे रहा है देखो।
वो कहता था अब मैं मिलूंगा नहीं,
मुझ ही को वो अब तलाश रहा है देखो।
सलीका नहीं झूठ कहने का उसको,
हक़ीक़त को सच में बता रहा है देखो।
मुश्किल नहीं कोई मरने में लेकिन,
वो जी के सभी को बता रहा है देखो।
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