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मन की प्यास
इस खुशी की बेला मैं वो शब्द कहाँ से लाऊँ।
मन गदगद हो उठता है,खुशियाँ कहाँ समाऊँ।।
नवज्योति बनी जीवन की,वो मेरे संसार की।
बरसे नैना देखन को,किस विधि मन समझाऊँ।।
दूर रहे हर गम का बादल,घर में वह प्यार मिले।
मन की प्यास विरह बन जाये,कैसे उसे बुलाऊँ।।
मन गदगद हो उठता है,खुशियाँ कहाँ समाऊँ।।
नवज्योति बनी जीवन की,वो मेरे संसार की।
बरसे नैना देखन को,किस विधि मन समझाऊँ।।
दूर रहे हर गम का बादल,घर में वह प्यार मिले।
मन की प्यास विरह बन जाये,कैसे उसे बुलाऊँ।।
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