...

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Maa
माँ बस एक शब्द नहीं एहसास हैं.
लाखों अल्फाज़ो मे सबसे पाक है.
रूठे चेहऱे पे जो हसी ले आये.
काम न बनता हो जो वो भी बन जाये.
ख़ुद गुमसुम रह जो ख़ुशी भर देती है.
मैं हूँ ना साथ तेरे ये कहती है.
है ऋतु जो बसंत की नीयत जिसकी साफ़ है .
माँ एक शब्द नहीं एहसास है.
देखा है मैंने पल्लू में उसे रूपये दबाते हुए.
तिल तिल जोड़ बरकत बरसाते हुए.
थाली की रोटी कम न पड़ जाये ये घबराहट लिए
अपने हिस्से का भी मेरी तरफ़ सरकाते हुए
बिन मांगे जो दे दे वो सबसे ख़ास है
माँ एक शब्द नहीं एहसास है
लाखों अल्फ़ाज़ों में सबसे ख़ास है .
अब पड़ चुकी है सिकन उम्र की तहलीज़ है
पर उसके लिए आज भी हम अज़ीज है
पता नहीं थकती क्यू नहीं क्या बात है .
शायद इसलिए माँ सिर्फ शब्द नहीं एहसास है . ❤️❤️
For Maa.
© Amuu_speaks