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नियति कहना पर्याप्त होगा ?
भाग गई वह
अपने प्रेमी संग
बच्चों को छोड़ कर...
कानों में पड़े
जब यह शब्द
एकबारगी तो मुझे भी लगा
यह बिल्कुल गलत है
एक मां
ऐसा कैसे कर सकती है...
फिर कुछ सवाल उभर आएँ
मन में...
याद आया उसका ब्याह
सोलह सत्रह की दुल्हन
चालीस का अधेड़ दुल्हा
शादी की वजह
लड़की पक्ष की गरीबी
दहेज देने में असमर्थता
और सामाजिक मान्यताओं में
पवित्र बंधन जरुरी
लडके वालों का पक्ष
पहली पत्नि से संतान न होना...
सोचती हूं
एक गरीब बेरोजगार पुरुष
क्या कुछ छोड़ गया होगा
अपनी पत्नि के नाम
बच्चों की जिम्मेवारी के अलावा...
शायद वह निरक्षर स्त्री
असमर्थ रही होगी
बच्चों के पेट पालने में
या दैहिक आकर्षण में फस गई होगी शायद
जहीर हैं वह स्त्री
अगर शातिर होती
तो समाज के बीच रह कर
समाज को ठेंगा दिखाती
और यदि हिम्मती होती
तो लड़ती अपने हक के लिए...
फिर खयाल आया
हक?
कौन सा हक
गरीब पिता क्या देता संतावना के अलावा
और बूढ़ी बीमार सास से
क्या मांगती ?
नियति
कह देना पर्याप्त होगा क्या ?
सोचती हूं
सवाल तब क्यों न उठे
सवाल उठना चहिए था न।
अपने प्रेमी संग
बच्चों को छोड़ कर...
कानों में पड़े
जब यह शब्द
एकबारगी तो मुझे भी लगा
यह बिल्कुल गलत है
एक मां
ऐसा कैसे कर सकती है...
फिर कुछ सवाल उभर आएँ
मन में...
याद आया उसका ब्याह
सोलह सत्रह की दुल्हन
चालीस का अधेड़ दुल्हा
शादी की वजह
लड़की पक्ष की गरीबी
दहेज देने में असमर्थता
और सामाजिक मान्यताओं में
पवित्र बंधन जरुरी
लडके वालों का पक्ष
पहली पत्नि से संतान न होना...
सोचती हूं
एक गरीब बेरोजगार पुरुष
क्या कुछ छोड़ गया होगा
अपनी पत्नि के नाम
बच्चों की जिम्मेवारी के अलावा...
शायद वह निरक्षर स्त्री
असमर्थ रही होगी
बच्चों के पेट पालने में
या दैहिक आकर्षण में फस गई होगी शायद
जहीर हैं वह स्त्री
अगर शातिर होती
तो समाज के बीच रह कर
समाज को ठेंगा दिखाती
और यदि हिम्मती होती
तो लड़ती अपने हक के लिए...
फिर खयाल आया
हक?
कौन सा हक
गरीब पिता क्या देता संतावना के अलावा
और बूढ़ी बीमार सास से
क्या मांगती ?
नियति
कह देना पर्याप्त होगा क्या ?
सोचती हूं
सवाल तब क्यों न उठे
सवाल उठना चहिए था न।
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