...

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दृष्टिकोण
कभी बृहद ,कभी अनहद
कभी पार करता सरहद
यह दृष्टिकोण ही तो है
जो बातों को विस्तार देता है...

कभी संकीर्ण ,कभी विदीर्ण
तो कभी क्षीण होता
यह दृष्टिकोण ही तो है
जो बातों को अपने अनुसार
आकार देता है...

इतना निजी होता कि हर कोण से लगता
सबको अपना ही समकोण....

किसी का होता सार्थक सृजन के लिए सकारात्मक...
तो किसी का विध्वंसकारी बनकर होता नकारात्मक...

जीवन का पतन और उत्थान निश्चित करता यह दृष्टिकोण...

© "मनु"
मनीषा पटेल 'मनु'
#मनु_के_मन_के_मोती

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