एक बिखारी सा...
ना मैं किसी के साथ हूँ,
ना मैं अकेला हूँ,
एक अलग दुनिया में,
खो गया हूँ...
ना मेरे पास time है,
ना मैं busy हूँ..
बिना बिस्तर मैं
आसमान के नीचे सो गया हूँ..!
कोई अजनबी मिला है
संभालने के लिए,
उसी अपनेपन के लिए
रो गया हूँ..!
माँगता हूँ हाथ फैला कर,
कुछ उपर वाले के नाम पर,
क्या मैं गरीब हूँ,
या बिखारी सा... हो गया हूँ..?
© deep_k_lafz
ना मैं अकेला हूँ,
एक अलग दुनिया में,
खो गया हूँ...
ना मेरे पास time है,
ना मैं busy हूँ..
बिना बिस्तर मैं
आसमान के नीचे सो गया हूँ..!
कोई अजनबी मिला है
संभालने के लिए,
उसी अपनेपन के लिए
रो गया हूँ..!
माँगता हूँ हाथ फैला कर,
कुछ उपर वाले के नाम पर,
क्या मैं गरीब हूँ,
या बिखारी सा... हो गया हूँ..?
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