...

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कभी - कभी
कभी -कभी ख्याल आता है
तेरे यादों के पिंजरे से खुद को छुडालूं

भूल भुलैया जहां मैं खुद ही फंसी हूं
बस किसी तरह यहां से खुद को निकलूं

मगर दिल और दिमाग की कहां जमती है
यहां भी दिल जीत जाता है

दिमाग कहता है
मौका है सब छोड़ आसमान में उड़ चल

दिल कहता है
हाथ पकडूं संग तुझे मैं उड़ा लूं

© Rishali