...

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* गम *
गम में इस पल डूबे बहुत है जनाब...
कम्बख्द किसी को हमारे गम का बस इल्म ही न हुआ...
और शिकायत भी किसी से क्या करे...
दिल और दिमाग की भी बनती कहा है संग में आजकल...
जब खुद से ही नाराज़ है तो किसी को मनाये भी कैसे...
लाज़मी है किसी को हमसे उम्मीद ही कहा है...
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© Shweta