...

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बुलन्दी चढ़ गये होंगे...🌹🌹✍️✍️(गजल)
जो लगाये थे बगीचे उजड़ गये होगे
हालात मेरे चमन के बिगड गये होगे

यहां खूं ही खूं पड़ा है ज़मीं पर यारों
मेरे अरमां आपस में लड गये होगे

उन लोगों का ऐतबार क्या करना
जो लोग मुझसे आगे बढ़ गये होगे

कौन परिंदा बसे उस पेड़ पर 'सत्या'
जिसके पत्ते सबके सब झड गये होंगे

गरीबों की सीढ़ियां बनाकर साहब
ये अमीर लोग बुलन्दी चढ़ गये होंगे

मुझे माफ कर दो मैंने यूंही कहीं बातें
ये जज्बात बस यूंही उमड गये होंगे

पिंजरा खुला छोडा है ऐतबार करके
मगर वो परिंदे फिर भी उड गये होगे


© Shaayar Satya