...

3 views

फतवा
फिर मेरा फतवा सुन लो
जीना चाहते हो तो रस्ता अपना बदल दो
आज के वक्त की इन गूंजती तीखी बातों से
तुम्हें ऐतराज है
कहते ऐसा ही क्यों,
हम जलील बहूत
हममें ऐसी ही प्यास है
बातें करते जाने कैसी कैसी
न अदब है न लिहाज है
फिर भी कहते हो
जीने को मगर यही खास है
किन दिशाओं में बह रहे तुम ओ दरिया प्यार के
रहम न रह गया क्या दिल में
एक इसी बात पे तो
अब तक टिकी कायनात है
तब अंगार सुलगा तुम चाहते हो क्या
घर जल जाए प्यार का
और राज करोगे जल जलकर तुम डुब
उस नर्क के ग़र्क में क्या?????



© सुशील पवार