...

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गीता का ज्ञान ठूकारा दो।
मै क़दम बाहर निकालूं,
बदचलन कहलाऊं,
इज्ज़त है खूब मेरी यहां
तुम वो स्वाभिमान दिला दो।
हलचल हो जायेगी पूरे समाज में
शांति जायेंगी सबकी ज़ेहन से
जो कहो बड़ा सुकुन है बन्धन में
तुम वो एहसास बस दिला दो।
नर्क स्वर्ग सा लगे ऐसे जाम पिलाते हो
जब तुम न संग होते तलवार संसार का चला देते हो,
संसार से समाना न करूं ख़ुद को कोई और मौका न दूं
इस चार दीवारी में तुम वो रब दिला दो।
इतनी सी बात है तुम्हें समझ न आती है,
चुपचाप बैठे रहने से शांति नहीं कहलाती
बिन संसार के सामना किए सच्चाई नहीं मिलती
जब प्रेम बंधन मुक्त है मुक्ति सहनशीलता से आती है
कहो विरोध में कुछ न रखा है,
गीता का ज्ञान भी वो ठूकारा दो।

© Sunita barnwal